मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव: इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष की बढ़ती आंच और वैश्विक प्रभाव

  • पोस्ट किया गया 27-10-2024
  • समाचार
  • द्वारा Saumy Verma
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इजरायल और ईरान के बीच वर्षों से चला आ रहा तनाव अब खतरनाक रूप से गहरा हो गया है, और हाल ही में इसने एक भयंकर रूप ले लिया है। 1 अक्टूबर को हुए ईरानी हमले का जवाब देते हुए, इजरायल ने अब ईरान पर भीषण हमला किया है, जिसमें प्रमुख ईरानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने अधिकारियों के साथ स्थिति का मुआयना किया और यह सुनिश्चित किया कि उनकी सेना प्रभावी और सटीक कार्रवाई करे। यह संघर्ष न केवल इन दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे मध्य पूर्व के लिए भी तनाव का कारण बनता जा रहा है, और विशेषज्ञों को आशंका है कि इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर भी पड़ सकता है।

तनाव का बढ़ना: शुरुआत कहां से हुई?

इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से राजनीतिक और सैन्य संघर्ष चला आ रहा है। ईरान द्वारा परमाणु कार्यक्रम में विस्तार करना और इजरायल के खिलाफ कठोर रुख अपनाना, इस तनाव के प्रमुख कारण हैं। इसके अतिरिक्त, ईरान के कई प्रॉक्सी संगठन भी इजरायल के खिलाफ हमलों में सक्रिय रहते हैं। हिज़्बुल्लाह, हमास, और अन्य ईरानी समर्थित समूहों द्वारा इजरायल पर किए गए हमलों ने इस तनाव को बढ़ाया है।

हाल ही में, 1 अक्टूबर को ईरान ने इजरायल पर हमला किया था, जिसके बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई का इशारा दिया था। 26 दिन बाद, 26 अक्टूबर को इजरायली सेना ने सटीक हमलों के जरिए ईरान की सैन्य ठिकानों पर हमला किया। इजरायली अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने इस ऑपरेशन में खास ध्यान रखा कि केवल सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया जाए, जिससे आम जनता प्रभावित न हो। इजरायली सेना के अनुसार, यह हमला पूरी तरह से आत्मरक्षा में किया गया है।

इजरायली सेना की रणनीति और चेतावनी

इजरायली सेना ने कहा है कि वह सात अलग-अलग मोर्चों पर ईरान और उसके प्रॉक्सी संगठनों के खिलाफ सक्रिय रूप से संघर्ष कर रही है। इस हमले में भी, इजरायली सेना ने कहा कि उन्होंने सटीकता और सावधानी के साथ केवल ईरानी मिलिट्री फैसिलिटी पर ही निशाना साधा। उनके अनुसार, ईरान और उसके सहयोगी संगठनों द्वारा इजरायल पर कई मोर्चों से हमले किए गए हैं, जो सीधा-सीधा इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इजरायली सेना ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी तरह का खतरा देखते ही वह कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि इजरायली सेना का यह रुख उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाता है, और यह भी कि इजरायल ने यह कदम अपने क्षेत्रीय हितों की रक्षा के लिए उठाया है। इस तरह की कार्रवाइयों का लक्ष्य यह संदेश देना है कि इजरायल की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा, और वह अपने नागरिकों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा। इस हमले के बाद, इजरायल ने एक और बयान जारी किया कि यह कार्रवाई केवल एक शुरुआत है और जरूरत पड़ने पर भविष्य में और भी कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।

अमेरिका की भूमिका और प्रतिक्रियाएं

इस हमले से पहले, इजरायल ने अमेरिका को हमले की जानकारी दी थी। हालांकि, इस बार अमेरिका ने इस हमले में किसी भी प्रकार की सहभागिता से इनकार किया है। CNN की रिपोर्ट के अनुसार, बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका इस हमले में शामिल नहीं है, लेकिन इजरायल को आत्मरक्षा का अधिकार है। यह बयान अमेरिका और इजरायल के बीच मजबूत सामरिक साझेदारी को दर्शाता है, क्योंकि अमेरिका ने कई बार इजरायल को ईरान के खिलाफ अपना समर्थन दिया है।

पिछले महीने की एक घटना के दौरान हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या हुई थी, जिसके बारे में इजरायल ने अमेरिका को पहले से सूचित नहीं किया था। इस मामले को लेकर अमेरिका में नाराजगी थी, लेकिन इस बार इजरायल ने पहले से अमेरिका को हमले की जानकारी देकर उनके साथ अपने संबंधों को बनाए रखने की कोशिश की है।

अमेरिका की चेतावनी थी कि इजरायल किसी भी कीमत पर ईरान के तेल और न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला न करे, क्योंकि इससे खाड़ी क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है। अमेरिका की ओर से यह बार-बार कहा गया है कि इस तरह की कार्रवाइयों से क्षेत्रीय युद्ध छिड़ने का खतरा है, जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है। अगर तेल के भंडार पर हमला होता है तो इससे तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है और इसका असर वैश्विक बाजारों पर भी देखने को मिल सकता है।

विशेषज्ञों की राय और संभावित खतरे

इजरायल और ईरान के बीच तनाव की स्थिति पर विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष मध्य पूर्व में शांति के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। इस क्षेत्र में पहले से ही कई तरह के संघर्ष चल रहे हैं, और इजरायल और ईरान के बीच इस तरह का टकराव इन संघर्षों को और अधिक बढ़ा सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान की तरफ से और अधिक हमले किए जाते हैं, तो इजरायल की प्रतिक्रिया और भी तीव्र हो सकती है। ऐसी स्थिति में, यह संघर्ष केवल इन दो देशों के बीच सीमित नहीं रहेगा, बल्कि खाड़ी के अन्य देशों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। इससे क्षेत्र में स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, और इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर भी शांति और आर्थिक स्थिरता पर असर पड़ेगा।

अगर यह संघर्ष और बढ़ता है, तो तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा। इससे विभिन्न देशों की तेल आपूर्ति पर भी असर पड़ सकता है, जो उन देशों के लिए महंगाई और आर्थिक अस्थिरता का कारण बन सकता है।

इजरायल और ईरान के लिए आगे की चुनौतियाँ

इजरायल और ईरान के बीच यह संघर्ष अब एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है, जहां से पीछे हटना मुश्किल है। इजरायल ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी कीमत पर अपनी सुरक्षा को खतरे में नहीं डालेगा। दूसरी तरफ, ईरान भी अपनी गतिविधियों को रोकने के संकेत नहीं दे रहा है।

इस स्थिति में, यदि ईरान अपने प्रॉक्सी संगठनों को इजरायल के खिलाफ और सक्रिय करता है, तो यह संघर्ष और भी व्यापक हो सकता है। वहीं, इजरायल के लिए भी यह जरूरी है कि वह अपने नागरिकों और सैन्य ठिकानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित रणनीति अपनाए। अगर दोनों देश किसी तरह की बातचीत या कूटनीति का रास्ता अपनाते हैं तो शायद इस टकराव को रोका जा सकता है, लेकिन फिलहाल इसके कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।

निष्कर्ष

इजरायल और ईरान के बीच यह संघर्ष एक बार फिर यह दिखाता है कि इस क्षेत्र में स्थिरता की कमी किस तरह से वैश्विक मुद्दा बन सकती है। इजरायल ने अपनी आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग किया है, लेकिन इस तरह के टकराव का परिणाम बहुत गंभीर हो सकता है। अमेरिका और अन्य वैश्विक शक्तियों को भी इस स्थिति पर कड़ी नजर रखनी होगी और कोशिश करनी होगी कि यह संघर्ष और न बढ़े। अगर यह टकराव और बढ़ता है, तो यह न केवल खाड़ी क्षेत्र में बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का कारण बन सकता है।

मध्य पूर्व में इस तरह का तनाव अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नई दिशा दे सकता है, और यह भी मुमकिन है कि इसमें नए गठबंधन उभरकर सामने आएं। आगे के दिनों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संघर्ष में शामिल देश किस तरह की रणनीति अपनाते हैं और किस तरह से शांति का रास्ता निकालते हैं।

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लेखक
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Saumy Verma

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