छठ पूजा का इतिहास, परंपरा और महत्व: जानें क्यों मनाते हैं यह पवित्र पर्व

  • पोस्ट किया गया 04-11-2024
  • समाचार
  • द्वारा Saumy Verma
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छठ पूजा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना के लिए मनाया जाता है। इस पर्व का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है, और इसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। चार दिन के इस पर्व में कठोर उपवास, पवित्र स्नान, और सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा निभाई जाती है। छठ पूजा हमें प्रकृति के प्रति सम्मान, कृतज्ञता, और समाज में एकता का महत्व सिखाती है।

छठ पूजा: इतिहास, परंपरा और इसका खास महत्व

छठ पूजा एक प्राचीन और पवित्र पर्व है, जो भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पूजा में सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना की जाती है, और इसे मुख्य रूप से परिवार की सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति की कामना के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं छठ पूजा का इतिहास, इसे क्यों मनाया जाता है, और इससे जुड़ी खास बातें।

छठ पूजा का इतिहास

छठ पूजा का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि कर्ण, जो सूर्य देव के पुत्र थे, नियमित रूप से सूर्य की उपासना करते थे। ऐसा माना जाता है कि उन्हीं ने सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा शुरू की थी। इसके अलावा, जब भगवान राम और माता सीता अयोध्या लौटे, तो माता सीता ने भी सूर्य देव और छठी मैया के आशीर्वाद के लिए यह व्रत किया था।

सूर्य देवता की पूजा करने का यह पर्व, मानव जीवन में शक्ति, ऊर्जा और संतुलन बनाए रखने के लिए भी मनाया जाता है। हिंदू धर्म में सूर्य देव को जीवन का मुख्य स्रोत माना जाता है, और यही वजह है कि छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देकर धन्यवाद किया जाता है।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?

छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता की उपासना कर उनसे स्वास्थ्य, शक्ति और परिवार की खुशहाली की कामना करना है। सूर्य को शक्ति, ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना गया है। इस पूजा के दौरान महिलाएं कठोर उपवास रखती हैं और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं। छठी मैया, जिन्हें संतान प्राप्ति और परिवार की रक्षा का आशीर्वाद देने वाली देवी माना जाता है, की भी पूजा की जाती है।

छठ पूजा की विधि: चार दिन की परंपरा

छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन का अपना विशेष महत्व है:

  1. नहाय-खाय: पहले दिन, व्रतधारी पवित्र स्नान कर के शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।
  2. लोहंडा और खरना: दूसरे दिन बिना नमक का प्रसाद (खीर और रोटी) बनाया जाता है, जिसे व्रतधारी ग्रहण करते हैं।
  3. संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन, सूर्यास्त के समय सूर्य देव को जलाशय के किनारे अर्घ्य दिया जाता है।
  4. उषा अर्घ्य: चौथे दिन, सूर्योदय के समय फिर से अर्घ्य देकर पूजा का समापन होता है।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करना सिखाता है। छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले सभी साधन जैसे कि जल, फल, और मिट्टी के दीपक पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाते हैं।

साथ ही, यह पर्व समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी फैलाता है। छठ पर्व के दौरान लोग अपने परिवार और समाज के साथ मिलकर एक पवित्र माहौल में पूजा करते हैं, जो रिश्तों में मधुरता और मजबूती लाता है।

अंत में...

छठ पूजा हमें संयम, त्याग और भक्ति का महत्व सिखाती है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाकर हम अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि का स्वागत करते हैं। अगर आप भी इस पर्व को मानते हैं, तो इस साल इसे नए जोश और उमंग के साथ मनाएं और हमारे पारंपरिक पर्वों की धरोहर को संजोए रखें!

लेखक
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Saumy Verma

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